भारत सरकार द्वारा एक वेतन आयोग की स्थापना की जाती है और यह केंद्र सरकार के कर्मचारियों की वेतन संरचना में परिवर्तन से जुड़े सुझाव देता है। 7वां वेतन आयोग, जनवरी 2016 में लागू किया गया।
सरकारी कर्मचारियों के लिए सुझाया गया न्यूनतम वेतन : प्रवेश स्तर के नए भर्ती सरकारी कर्मचारी का न्यूनतम वेतन 7,000 रुपये से बढ़ाकर 18.000 रुपये प्रति माह कर दिया गया है। एक नए भर्ती श्रेणी 1 अधिकारी के लिए, न्यूनतम वेतन बढ़ाकर 56,100 रुपये प्रति माह कर दिया गया है।
सरकारी कर्मचारियों के लिए सुझाया गया अधिकतम वेतन : 7वां वेतन आयोग, एपेक्स स्केल के लिए सरकारी कर्मचारियों के लिए अधिकतम वेतन को बढ़ाकर 2.25 लाख रुपये प्रति माह और कैबिनेट सेक्रेटरी और इसी स्तर पर काम करने वाले अन्य लोगों के लिए 2.5 लाख रुपये प्रति माह करने का सुझाव भी देता है।
वेतन मैट्रिक्स : ग्रेड वेतन संरचना में मौजूद समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, 7वें वेतन आयोग ने एक नए वेतन मैट्रिक्स का सुझाव दिया है। 7वें वेतन आयोग के लागू हो जाने के बाद, एक सरकारी कर्मचारी का स्टेटस, ग्रेड वेतन के आधार पर नहीं बल्कि नए वेतन मैट्रिक्स में लेवल के आधार पर तय किया जाएगा।
नई वेतन संरचना : जब से केंद्र सरकारी कर्मचारियों ने वेतन मैट्रिक्स सिस्टम के बारे में सुना है तब से उनके मन में अपने ग्रेड और लेवल के बारे में सवाल उठने लगे हैं। 7वें वेतन आयोग द्वारा सुझाई गई नई वेतन संरचना में सभी मौजूदा लेवल्स को शामिल किया गया है और उसमें कोई नया लेवल चालू नहीं किया गया है।
काम सम्बन्धी बीमारी और चोट से जुड़ी छुट्टी (WRIIL): वेतन आयोग, डब्ल्यूआरआईआईएल(WRIIL) के कारण अस्पताल में भर्ती सभी कर्मचारियों को पूरा वेतन और भत्ता देने की सिफारिश करता है।
फिटमेंट: 7वां वेतन आयोग, सिस्टम में पक्षपात और भेदभाव को दूर करने के लिए एक यूनिफॉर्म फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश करता है। वेतन आयोग ने सभी कर्मचारियों के लिए 2.57 के एक यूनिफॉर्म फिटमेंट फैक्टर की सिफारिश की है।
7वें केन्द्रीय वेतन आयोग से संबंधित फिटमेंट फैक्टर को पिछले 2.57 गुना से 3.00 गुना पर सेट करने की सम्भावना है। लेकिन, 7वें सीपीसी द्वारा दिए गए सुझावों के विपरीत, कर्मचारी वर्तमान में 3.68 गुना बढ़ोत्तरी की मांग कर रहे हैं जिससे फिटमेंट फैक्टर जरूरी तौर पर तीन गुना बढ़ जाता है।
महंगाई भत्ता (DA): महंगाई भत्ते में हाल ही में 2% की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है जो सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बहुत बड़ी राहत बनकर सामने आई है। यूनियन कैबिनेट द्वारा उठाए गए इस कदम से 50 लाख से अधिक केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों और लगभग 55 लाख पेंशनभोगियों और कर्मचारियों को लाभ होगा। यह बढ़ोत्तरी काफी हद तक केन्द्रीय सरकारी कर्मचारियों को ध्यान में रखकर की गई थी क्योंकि काफी हद तक उनके द्वारा महंगाई जैसे कारकों की मार झेलने की सम्भावना रहती है। यह बढ़ोत्तरी पिछले 5% से सीधे 7% पहुँच गई।
वार्षिक बढ़ोत्तरी : वेतन आयोग ने 3% प्रतिवर्ष की वार्षिक बढ़ोत्तरी को बरक़रार रखने का सुझाव दिया है।
संशोधित आश्वासित कैरियर प्रगति (MACP): 7वें वेतन आयोग का उद्देश्य, भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली सेवाओं की गुणवत्ता को बेहतर बनाना और इंडिविजुअल परफॉरमेंस पर ध्यान देना है। रिपोर्ट के मुताबिक, एमएसीपी के परफॉरमेंस बेंचमार्क्स बदल दिए गए हैं और ज्यादा सख्त बना दिए गए हैं। उन्होंने "बहुत अच्छा" परफॉरमेंस लेवल जोड़कर परफॉरमेंस इंडिकेटर को और ज्यादा सख्त बना दिया है जो पहले "अच्छा" था। इस रिपोर्ट में यह सिफारिश भी की गई है कि अपने परफॉरमेंस लेवल को न पूरा करने वाले कर्मचारियों को कोई वार्षिक बढ़ोत्तरी नहीं दी जानी चाहिए और यदि सेवा में पहले 20 साल तक एमएसीपी कम है तो कोई प्रमोशन नहीं दिया जाएगा।
सैन्य सेवा वेतन (MSP): 7वां वेतन आयोग, सिर्फ रक्षा कर्मियों को ही एमएसपी देने की सिफारिश करता है। एमएसपी, भारत में सैन्य सेवा प्रदान करने वाले लोगों को दिया जाने वाला मुआवजा है। एमएसपी, ब्रिगेडियर और उसी स्तर के लोगों समेत सभी रैंकों के लिए दिया जाएगा।
भत्ते : कैबिनेट ने वर्तमान में मौजूद कुल 196 भत्तों की जांच की है जिनमें से 51 भत्तों को हटा दिया गया है और 37 भत्तों को बरक़रार रखा गया है।
मकान किराया भत्ता (HRA): चूंकि 7वें वेतन आयोग का उद्देश्य, सरकारी कर्मचारियों के मूल वेतन को बढ़ाना है, इसलिए वेतन आयोग ने मकान किराया भत्ते को भी 24% तक बढ़ाने की सिफारिश की है। आयोग यह भी कहता है कि जब डीए (महंगाई भत्ता), 50% को पार कर जाएगा तब एचआरए बढ़कर 27%, 18%, और 9% हो जाएगा। जब डीए, 100% को पार कर जाएगा तब एचआरए फिर बढ़ेगा और 30%, 20%, और 10% हो जाएगा।
एडवांस : 7वें वेतन आयोग ने पर्सनल कंप्यूटर एडवांस और भवन निर्माण एडवांस को छोड़कर बाकी सभी बिना इंटरेस्ट वाले एडवांस को समाप्त कर दिया है। यहाँ इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि भवन निर्माण एडवांस को 7.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 25 लाख रुपये कर दिया गया है।
केन्द्रीय सरकारी कर्मचारी सामूहिक बीमा योजना (CGEGIS): वेतन आयोग ने केंद्र सरकार के कर्मचारी समूह बीमा योजना में कुछ बदलाव किए हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा घोषित नए 7वें वेतन आयोग से अधिकांश कामकाजी वर्ग के कर्मचारियों को बहुत लाभ होगा। एक नए वेतन मैट्रिक्स और एक एडवांस वेतनमान की स्थापना से यह सुनिश्चित होगा कि पेंशनभोगी और वेतनभोगी कर्मचारियों को अपनी मौजूदा आय में 2.57% की बढ़ोत्तरी मिलती है। यह फैक्टर, 7वें वेतन आयोग की मुख्य अपील है। इस तरह एक केन्द्रीय सरकारी कर्मचारी को पहले से दोगुना वेतन मिलेगा।
वित्त मंत्री द्वारा की गई घोषणाओं और रिपोर्ट्स के मुताबिक़, प्रवेश स्तरीय कर्मचारियों को 18,000 रुपये का मूल वेतन मिलेगा जो पहले 7,000 रुपये था। सबसे ऊंचे पद पर काम करने वाले व्यक्ति, जैसे एक सेक्रेटरी को 2018 के नए बजट में चालू किए गए 2.5 लाख रुपये का वेतनमान मिलेगा। इसके अलावा, 50% महंगाई भत्ता लागू होने पर, मकान किराया भत्ता (HRA) बढ़ाकर 27%, 18%, और 9% हो जाएगा।
सभी वेतनभोगी कर्मचारियों के लिए वित्त मंत्री द्वारा 3% की वार्षिक बढ़ोत्तरी को बरक़रार रखने का सुझाव दिया गया है।
7वें वेतन आयोग के नए दिशानिर्देशानुसार, बिना इंटरेस्ट वाला एडवांस अब से हट जाएगा। लेकिन यह नियम, पर्सनल कंप्यूटर एडवांस और मकान निर्माण एडवांस पर लागू नहीं होता है; इसलिए, इन दोनों पर अभी भी एडवांस मिलेगा।
डिडक्टर को इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 201 के तहत सरकार को बाकी अमाउंट पर इंटरेस्ट देना पड़ेगा। इंटरेस्ट निम्नानुसार लगता है: (क) बाकी टैक्स पर हर महीने या एक महीने के कुछ हिस्से के लिए 1 प्रतिशत, जिसका कैलकुलेशन उस तारीख से उस तारीख के बीच के दिनों के आधार पर किया जाएगा जिस तारीख को टैक्स काटना था और जिस तारीख को असल में टैक्स काटा गया था (ख) पेंडिंग टैक्स पर हर महीने या एक महीने के कुछ हिस्से के लिए 1 और 1.5 प्रतिशत, जिसका कैलकुलेशन टैक्स काटने की तारीख से असल में टैक्स भरने की तारीख के बीच के दिनों के आधार पर किया जाएगा। सेक्शन 271C के तहत, डिडक्टर को, न काटे गए या न भरे गए टैक्स अमाउंट के बराबर पेनाल्टी भी देनी पड़ सकती है।
एसबीआई, सभी ब्रांड की नई और पुरानी कारों को फाइनेंस करता है। लेकिन, फाइनेंस की जाने वाली पुरानी कार, 5 साल से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए। आवेदक, फाइनेंसिंग के लिए कोई भी ब्रांड या मॉडल चुन सकता है।
इसलिए कार्यालय में एक केन्द्रित सरकारी कर्मचारी का स्टेटस, पिछले दिनों के अनुसार ग्रेड वेतन मानक के बजाय नए और उन्नत वेतन मैट्रिक्स के द्वारा तय किया जाएगा।
7वें वेतन आयोग के नए एडवांसमेंट के अनुसार, सरकारी कर्मचारियों के अधिकतम पारिश्रमिक को बढ़ाने की सिफारिश की गई है। एपेक्स स्केल वाले कर्मियों के लिए, बढ़ी हुई वेतन राशि 2.25 लाख रुपये प्रति माह और कैबिनेट में मौजूद अधिकारियों के लिए, अधिकतम पारिश्रमिक 2.5 लाख रुपये है।
यह बात साफ़ है कि वेतनमान और मैट्रिक्स में परिवर्तन होने पर उसका असर देश के फाइनेंशियल कंडीशन पर जरूर पड़ेगा। इसका पूरा खर्च, भारत सरकार द्वारा उठाया जाएगा। यूनियन बजट 2018 में इसके लिए 73,650 करोड़ रुपये अलग रखा गया है और रेलवे सेक्टर, 29,300 करोड़ रुपये का खर्च उठाएगा।
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