पीपीएफ योजना को 1968 में वित्त मंत्री के राष्ट्रीय बचत संस्थान द्वारा शुरू किया गया था। पीपीएफ योजना का मुख्य उद्देश्य, छोटी-मोटी बचत करने में लोगों की मदद करना और उनकी बचत राशि पर रिटर्न देना है। पीपीएफ योजना पर आकर्षक इंटरेस्ट मिलता है और इस इंटरेस्ट से जनरेट होने वाले रिटर्न पर कोई टैक्स भी नहीं लगता है।
एक पीपीएफ अकाउंट खोलने के लिए निम्नलिखित योग्यता सम्बन्धी मानदंडों को पूरा करना पड़ता है:
एक पीपीएफ अकाउंट किसी बैंक या पोस्ट ऑफिस में खोला जा सकता है। इससे पहले, सिर्फ नेशनलाइज्ड बैंकों में ही पीपीएफ अकाउंट खोलने की इजाजत थी, लेकिन अब एक्सिस, एचडीएफसी, और आईसीआईसीआई बैंक जैसे प्राइवेट बैंकों में भी पीपीएफ अकाउंट खोला जा सकता है। एक पीपीएफ अकाउंट खोलने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है:
उपरोक्त दस्तावेज सबमिट करने के बाद, एक पीपीएफ अकाउंट खोलने के लिए आवश्यक अमाउंट डिपोजिट किया जा सकता है।
पीपीएफ अकाउंट की मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
वर्तमान में, पीपीएफ इंटरेस्ट रेट को 7.9% से घटाकर 7.1% कर दिया गया है और उसे वार्षिक आधार पर चक्रवृद्धि किया जाता है। इंटरेस्ट का पेमेंट, 31 मार्च को किया जाता है और पीपीएफ इंटरेस्ट रेट, वार्षिक आधार पर वित्त मंत्री द्वारा निर्धारित किया जाता है। इंटरेस्ट का कैलकुलेशन, महीने के पांचवें दिन के समापन और अंतिम दिन के बीच मौजूद मिनिमम बैलेंस के आधार पर किया जाता है।
पीपीएफ अकाउंट में किया जाने वाला इन्वेस्टमेंट, छूट-छूट-छूट (EEE) केटेगरी में आता है। इसलिए, पीपीएफ अकाउंट में किए गए इन्वेस्टमेंट पर, इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत, टैक्स छूट मिलती है। पीपीएफ अकाउंट में इन्वेस्ट किए गए अमाउंट के साथ-साथ उस पर मिलने वाले इंटरेस्ट अमाउंट को निकालने पर उन पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
5 साल पूरा होने के बाद इसे समय से पहले बंद करने का विकल्प चुना जा सकता है। लेकिन, सिर्फ पीपीएफ अकाउंट होल्डर, उसके माता-पिता, बच्चों, या पति/पत्नी के जीवन को नुकसान पहुंचा सकने वाली बीमारियों के इलाज के लिए इसे समय से पहले बंद करने की इजाजत दी जाती है। जिसके लिए, एक निपुण चिकित्सा प्राधिकारी के दस्तावेज सबमिट करने होंगे।
इसके अलावा, नाबालिग अकाउंट होल्डर की ऊंची शिक्षा या अकाउंट होल्डर के लिए ऊंची शिक्षा के लिए भी इसे समय से पहले बंद करने की इजाजत दी जाती है। लेकिन, इसके लिए भारत या विदेश में एक मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी का फीस बिल और एडमिशन कन्फर्मेशन जैसे दस्तावेज सबमिट करने होंगे।
नहीं। पब्लिक प्रोविडेंट फंड योजना के तहत, एक व्यक्ति अपने नाम से सिर्फ एक अकाउंट ही खोल और चला सकता है।
हाँ। आप होल्डिंग ब्रांच को, जितने साल तक अकाउंट इनएक्टिव था उतने साल के लिए 50 रुपये प्रति वर्ष की दर से पेनाल्टी देकर ऐसा कर सकते हैं। इसके अलावा, आपको हर उस साल के लिए कम-से-कम 500 रुपये प्रति वर्ष की दर से इन्वेस्टमेंट करने के साथ-साथ उस साल के लिए भी कम-से-कम 500 रुपये इन्वेस्ट करना होगा जितने साल तक अकाउंट इनएक्टिव था और जिस साल के लिए आप उस अकाउंट को फिर एक्टिवेट कर रहे/रही हैं।
नहीं। उन सालों के लिए इंटरेस्ट नहीं मिलेगा जिन सालों तक अकाउंट इनएक्टिव था। अकाउंट फिर से एक्टिव होने के बाद, उस समय मौजूद बैलेंस के आधार पर इंटरेस्ट दिया जाएगा।
आप अपने अकाउंट, अपने नाबालिग बच्चे/बच्ची के अकाउंट और/या अपने पति/पत्नी के अकाउंट पर, सामूहिक रूप से, अधिक-से-अधिक 1.5 लाख रुपये तक के इन्वेस्टमेंट पर टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते/सकती हैं। क्योंकि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80C के तहत अधिक-से-अधिक 1.5 लाख रुपये तक का ही टैक्स डिडक्शन बेनिफिट मिलता है। उदाहरण के लिए, यदि आप अपने अकाउंट में 1 लाख रुपये और अपने बच्चे/बच्ची के अकाउंट में 1 लाख रुपये इन्वेस्ट करते हैं तो आप सिर्फ 1.5 लाख रुपये पर टैक्स डिडक्शन के लिए क्लेम कर सकते हैं, न कि 2 लाख रुपये पर।
1.5 लाख रुपये से ज्यादा इन्वेस्ट करने पर सिर्फ 1.5 लाख रुपये पर ही इंटरेस्ट मिलेगा। क्योंकि मैक्सिमम एनुअल इन्वेस्टमेंट लिमिट यानी 1.5 लाख रुपये प्रति वर्ष के आधार पर पीपीएफ इंटरेस्ट कैलकुलेशन किया जाता है।
जब एक वित्तीय वर्ष के दौरान लिमिट को बढ़ाया जाता है तब बैंक और पोस्ट ऑफिस को एक्स्ट्रा इन्वेस्टमेंट स्वीकार करने का निर्देश दिया जाता है यदि इन्वेस्टर, संशोधित मैक्सिमम लिमिट तक इन्वेस्ट करना चाहते/चाहती हैं। पिछली बार उन लोगों के साथ भी यही हुआ था जो संशोधित लिमिट के तहत 1.5 लाख रुपये तक इन्वेस्ट करना चाहते थे।
इंटरेस्ट का कैलकुलेशन कैसे किया जाता है ? मुझे पिछले साल 12 महीने के बजाय 11 महीने का ही इंटरेस्ट मिला।
किसी भी महीने के लिए इंटरेस्ट का कैलकुलेशन करते समय उस महीने की 5 तारीख या उससे पहले किए गए इन्वेस्टमेंट को ध्यान में रखा जाता है। महीने की 5 तारीख के बाद से लेकर महीने के अंत तक किए गए इन्वेस्टमेंट को अगले महीने के इंटरेस्ट कैलकुलेशन में शामिल किया जाता है।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए, एक अकाउंट में सितम्बर की शुरुआत में 1 लाख रुपये थे। अकाउंट होल्डर ने उसमें 50,000 रुपये इन्वेस्ट करने का फैसला किया। उसने इसे 10 सितम्बर को इन्वेस्ट किया। इस मामले में, 5 सितम्बर को बैलेंस 1 लाख रुपये थे और महीने के अंत में 1.5 लाख रुपये थे। सितम्बर महीने का इंटरेस्ट कैलकुलेट करते समय 1 लाख रुपये को ध्यान में रखा जाएगा। 50,000 रुपये के एक्स्ट्रा इन्वेस्टमेंट को अक्टूबर महीने का इंटरेस्ट कैलकुलेट करते समय ध्यान में रखा जाएगा।
यदि अकाउंट होल्डर ने 50,000 रुपये का यह एक्स्ट्रा इन्वेस्टमेंट 3 सितम्बर को किया होता तो 5 सितम्बर को बैलेंस 1.5 लाख रुपये होते। यह सितंबर महीने के लिए इंटरेस्ट कैलकुलेट करते समय विचार की गई राशि होती।
नहीं। दादा-दादी अपने पोते-पोतियों के नाम से पीपीएफ अकाउंट नहीं खोल सकते। आप यह पैसा उसके माता/पिता या अभिभावक को दे सकते हैं जो अपने नाबालिग बच्चे/बच्ची के नाम से अकाउंट खोल और चला सकते हैं। लेकिन, यदि नाबालिग बच्चे/बच्ची के दोनों माता-पिता की मौत हो जाय तो दादा-दादी उस नाबालिग बच्चे/बच्ची के अभिभावक के रूप में उसके लिए एक पीपीएफ अकाउंट खोल और चला सकते हैं।
नहीं। मैच्योरिटी के समय अकाउंट से सारा पैसा निकालना जरूरी नहीं है। इन्वेस्टर जब तक उस अकाउंट को चलाना चाहे, वह तब तक उस अकाउंट को चालू रख या बढ़ा सकता है। अकाउंट को हर बार 5 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। कुछ इन्वेस्टमेंट करके या इन्वेस्ट किए बिना भी अकाउंट को बढ़ाया जा सकता है।
हाँ। एक्सटेंशन पीरियड के दौरान प्रचलित इंटरेस्ट रेट्स के आधार पर इंटरेस्ट का कैलकुलेशन और पेमेंट किया जाएगा। एक्सटेंशन पीरियड के दौरान कोई फ्रेश इन्वेस्टमेंट न करने पर, 15वें साल के अंत में अकाउंट में मौजूद बैलेंस के आधार पर, इंटरेस्ट कैलकुलेट किया जाएगा। यदि अकाउंट की समय अवधि बढ़ाने के लिए फ्रेश इन्वेस्टमेंट किया गया है तो उसे 15वें साल के अंत में बैलेंस में जोड़ दिया जाएगा और टोटल अमाउंट को प्रिंसिपल अमाउंट मानकर उस पर इंटरेस्ट कैलकुलेट किया जाएगा।
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