कर्मचारी भविष्य निधि तथा विविध अधिनियम, 1952 के अंतर्गत ईपीएफ एक मुख्य स्कीम है। स्कीम का संचालन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) द्वारा किया जाता है।
20 या अधिक कर्मचारियों वाले प्रत्येक एस्टेबलिशमेंट को कवर किया जाता है, तथा कुछ खास सीमाओं और छूट के साथ 20 से कम कर्मचारियों को काम पर रखने वाले कुछ संगठनों को भी कवर किया जाता है।
कर्मचारी और एम्प्लायर दोनो ईपीएफ में कर्मचारी की बेसिक सेलरी और मंहगाई भत्ते का 12% अंशदान करते हैं। कर्मचारी के रिटायर होने के बाद, उन्हें एक मुश्त राशि दी जाती है जिसमें उनका खुद का और नियोक्ता दोनो का अंशदान शामिल होता है तथा दोनो अंशदानों पर ब्याज भी दिया जाता है। वर्तमान में, ईपीएफ डिपाजिट पर ब्याज 8.15% हैं।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) एक गैर-संवैधानिक संस्था है जो कर्मचारियों को भविष्य के लिए फंड्स बचाने के लिए प्रोत्साहित करती है। संगठन को श्रम और रोजगार मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा नियंत्रित किया जाता है और इसकी स्थापना 1951 में की गई थी।
संगठन द्वारा ऑफर की जाने वाली स्कीम में भारतीय कामगारों और अंतर्राष्ट्रीय कामगारों (ऐसे देश जिनके साथ ईपीएफओ ने बाईलेट्रल समझौते किए हैं) को कवर किया जाता है।
ईपीएफओ के मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
ईपीएफ के सभी सब्स्क्राइबर अपने पीएफ अकाउंट को ऑनलाइन एक्सेसकर सकते हैं और विद्ड्रावल तथा ईपीएफ बैलेंस की जांच करने जैसे फंक्शन कर सकते हैं। यूनिवर्सल अकाउंट नम्बर (यूएएन) से ईपीएफओ मेम्बर पोर्टल पर लॉगिन करना आसान हो जाता है।
यूएएन एक 12 अंकों की संख्या है जिसे ईपीएफओ द्वारा प्रत्येक सदस्य को आवंटित किया जाता है। कर्मचारी का यूएएन नम्बर उसके द्वारा जॉब को बदलने के बाद भी वही रहता है। जॉब बदलने की स्थिति में, मेम्बर आईडी बदल जाती है, और नई आईडी को यूएएन नम्बर से लिंक कर दिया जाता है। लेकिन, ऑनलाइन सेवाओं का लाभ उठाने के लिए सदस्य को अपने यूएएन नम्बर को एक्टिवेट ज़रूर करना होगा।
आप अपने एम्प्लायर के ज़रिए यूएएन नम्बर प्राप्त कर सकते हैं। यदि आप ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो आप आसानी से अपनी मेम्बर आईडी से यूएएन पोर्टल (https://unifiedportal-mem.epfindia.gov.in/memberinterface/) पर लॉगिन कर सकते हैं और यूएएन नम्बर खोज सकते हैं।
ईपीएफ स्कीम के लाभ नीचे दिए गये हैं:
ईपीएफओ के तहत मौजूद विभिन्न स्कीमों की जानकारी नीचे दी गई है:
ईपीएफओ द्वारा ऑफर की जाने वाली कुछ सेवाओं को नीचे बताया गया है:
एम्प्लायर का अंशदान निम्नलिखित श्रेणियों में बांटा जाता है:
श्रेणी | अंशदान का प्रतिशत (%) |
कर्मचारी भविष्य निधि | 3.67 |
कर्मचारी पेंशन स्कीम (ईपीएस) | 8.33 |
कर्मचारी डिपाजिट लिंक बीमा स्कीम (ईडीएलआईएस) | 0.50 |
ईपीएफ एडमिन चार्ज | 1.10 |
ईडीएलआईएस एडमिन चार्ज | 0.01 |
ईपीएफ अंशदान करना कर्मचारी और एम्प्यालर के लिए अनिवार्य है। ईपीएफ में प्रत्येक द्वारा कर्मचारी के मंहगाई भत्ते और मूल वेतन के 12% का अंशदान किया जाता है। ईपीएफ में कर्मचारी और एम्प्लायर के अंशदान को दिया गया है।
वर्तमान में पीएफ ब्याज दर 8.15% है। वित्त वर्ष की समाप्ति पर ईपीएफ अकाउंट में जमा राशि पर ब्याज राशि की गणना आसान होता है। इस राशि को अकाउंट में कुल बैलेंस का पता लगाने के लिए वर्ष के अंत में कर्मचारी और एम्प्लायर के अंशदान में जमा कर दिया जाता है।
ईपीएफ स्कीम में शामिल होने के लिए एलिजिबिलिटी मानदंडों का उल्लेख नीचे किया गया है:
आप चार विधियों से ईपीएफ बैलेंक को चैक कर सकते हैं:
नीचे तालिका में अलग-अलग ईपीएफ फॉर्म की सूची तथा उनके उपयोग की जानकारी दी गई है:
फॉर्म टाइप | फॉर्म का उपयोग |
फॉर्म 31 | इसे पीएफ एडवांस फॉर्म भी कहा जाता है। इसका उपयोग ईपीएफ अकाउंट से विदड्रावल, लोन और एडवांस लेने के लिए किया जा सकता है। |
फॉर्म 10 डी | इस फॉर्म का उपयोग मासिक पेंशन प्राप्त करने के लिए किया जाता है। |
फॉर्म 10 सी | इस फॉर्म का उपयोग ईपीएफ स्कीम के तहत लाभ का दावा करने के लिए किया जाता है। फॉर्म 10 सी का प्रयोग ईपीएस में एम्प्यालर के द्वारा अंशदान किए गए फंड को विदड्रा करने के लिए किया जाता है। |
फॉर्म 13 | इस फॉर्म का उपयोग आपके पिछले जॉब से आपकी पीएफ रकम को आपके मौजूदा जॉब में ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। इससे समस्त पीएफ रकम को एक ही अकांउट में रखने में मदद मिलती है। |
फॉर्म 19 | इस फॉर्म का उपयोग ईपीएफ अकाउंट के अंतिम सेटलमेंट का क्लेम करने के लिए किया जाता है। |
फॉर्म 20 | यदि अकाउंट धारक की मौत हो जाती है, तो परिवार के सदस्य पीएफ राशि को विदड्रा करने के लिए इस फॉर्म का उपयोग कर सकते हैं। |
फॉर्म 51F | इस फॉर्म का उपयोग नामिनी द्वारा कर्मचारी डिपाजिट लिंक बीमा के लाभों का दावा करने के लिए किया जा सकता है। |
ईपीएफओ पोर्टल में लॉगिन का पहला कदम यूएएन को एक्टिवेट करना है। इसे ईपीएफओ पोर्टल पर आसानी से किया जा सकता है।
यूएएन लॉगिन करने के बाद, निम्नलिखित एक्टीविटिज़ को किया जा सकता है:
किसी कर्मचारी द्वारा अपने यूएएन तथा पॉसवर्ड का इस्तेमाल करके ईपीएफ मेम्बर पोर्टल पर लॉगिन किया जा सकता है।
कर्मचारी स्थाई लॉगिन आईडी तथा पॉसवर्ड का इस्तेमाल करके वेबसाइट पर लॉगिन कर सकते हैं।
ईपीएफ संयुक्त घोषणा फॉर्म
ईपीएफ संयुक्त घोषणा फॉर्म पर आप कर्मचारी के तौर और आपके एम्प्लायर द्वारा हस्ताक्षर किए जाते हैं तथा ईपीएफ संयुक्त घोषणा फॉर्म को आपके पीएफ खाते में जन्म तिथि, शामिल होने की तारीख, यूएएन में नाम, आपके पिता का नाम तथा एग्जिट की तारीख में सुधार करने के लिए सुरक्षित किया जाता है।
ईपीएफ संयुक्त घोषणा का ब्यौरा निम्नलिखित है:
कर्मचारी द्वारा अपने ईपीएफओ पोर्टल पर लॉगिन करने की प्रक्रिया आसान है। सबसे पहले, कर्मचारी को https://www.epfindia.gov.in/site_en/index.php पर जाना होगा तथा यूएएन तथा पॉसवर्ड का उपयोग करके लॉगिन करना होगा। पोर्टल पर पीएफ क्लेम करना, केवाईसी ब्यौरा अपडेट करना, पीएफ बैलेंस चैक करना, तथा पीएफ राशि को ट्रांसफर करना संभव है।
ईपीएफओ कर्मचारी पोर्टल (https://www.epfindia.gov.in/site_en/For_Employers.php) पर अपने पहले लॉगिन पर कर्मचारी को अपना उपयोगकर्ता नाम और पासवर्ड तैयार करना होगा। जब एम्प्लायर पोर्टल पर लॉग करता है, तो कर्मचारियों के केवाईसी ब्यौरे का अनुमोदन करना संभव होता है।
आप अपने ईपीएफ अकांउट स्टेटमेंट की जांच करने तथा स्टेटमेंट को प्रिंट/डाउनलोड करने के लिए ईपीएफओ पॉसबुक का इस्तेमाल कर सकते हैं। सभी सदस्य जिन्होंने अपने यूएएन को ईपीएफओ पोर्टल पर रजिस्टर करवा लिया है, वे ईपीएफ पॉसबुक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
ईपीएफओ पासबुक में कर्मचारी का नाम, एस्टेबलिशमेंट आईडी, ईपीएफ स्कीम ब्यौरा, ईपीएफ ऑफिस का नाम आदि ब्यौरा देखा जा सकता है।
ईपीएफओ अकांउट होल्डर जॉब में परिवर्तन के बाद, एग्जिट तारीख को अपडेट कर सकता है
अब ईपीएफओ ने ऑफियल वेबसाइट पर ऐसा फीचर एनेबल कर दिया है जिससे उपयोगकर्ता अपना जॉब चेंज करने के बाद, ऑनलाइन ही ‘एग्जिट की तारीख’ को अपडेट कर सकते हैं। यह सुविधा कर्मचारियों को इससे पहले उपलब्ध नहीं थी। केवल एम्प्लायर ही ऑनलाइन उनकी एग्जिट तारीख को अपडेट कर सकते थे।
ध्यान दें कि आप अपने कार्य स्थल को छोड़ने के 2 महीने बाद ही एग्जिट को मार्क कर सकते हैं।
क्लेम सब्मिशन तथा सेटलमेंट के लिए एग्जिट तारीख को अपडेट करना महत्वपूर्ण होता है। यदि आपकी एग्जिट तारीख को अपडेट नहीं किया जाता है या उसका गलत उल्लेख किया जाता है, तो आपकी एम्प्लायमेंट को निरन्तर नहीं माना जाएगा और आपको इस अवधि में अर्जित ब्याज पर कर देना होगा।
घर खरीदने, विवाह के खर्च, या चिकित्सा व्ययों के लिए ईपीएफ अकाउंट से आंशिक रूप से विदड्रावल किया जा सकता है। विदड्रा किए जाने वाली राशि विदड्रावल के कारण पर निर्भर करेगी। यह नोट किया जाना चाहिए कि आंशिक विदड्रावल के लिए लॉक-इन अवधि होती है तथा यह विदड्रावल के उद्देश्य के आधार पर अलग-अलग होती है।
अनेक परिस्थितियों में पूरी पीएफ राशि को विदड्रा किया जा सकता है। इनमें से कुछ में रिटायरमेंट की आयु प्राप्त करना, स्थाई कुल मानसिक/शारीरिक अक्षमता के कारण त्यागपत्र, दूसरे देश मे स्थाई रूप से रिलोकेट हो जाना, मेम्बर की मौत आदि शामिल हैं।
नीचे इस बात के लिए कुछ कारण दिए गए हैं कि ईपीएफ को सेवा के 5 वर्ष से पहले विदड्रा नहीं किया जाना चाहिए:
इस बात की जानकारी मिलने पर की पीएफ विदड्रावल को सुगम बनाने के लिए एम्प्लायर का अनुमोदन या अटेस्टेशन प्राप्त करने में अनेक कर्मचारियों द्वारा सामना की गई परेशानियों का सामना करना पड़ता है, ईपीएफओ ने प्रक्रिया को हटा दिया है और अब अपने एम्प्लायर के अटेस्टेशन के बिना ही विदड्रा कर सकते हैं। ईपीएफ में यूएएन को लागू कर दिए जाने के कारण यह परिवर्तन संभव हो पाया है, अब कर्मचारियों को विदड्रावल के लिए यूएएन के साथ अपना आधार नम्बर जोड़ना होता है। ऐसा कहने के बाद, एम्प्लायर के हस्ताक्षर के बिना विदड्रावल करने के दो तरीके हैं- आधार कार्ड के साथ अथवा उसके बिना।
जब किसी सदस्य द्वारा अपने ईपीएफ फंड्स को विदड्रा करने का निर्णय किया जाता है, तो वे ईपीएफओ पोर्टल पर लॉग इन कर सकते हैं और उसके लिए ऑनलाइन अनुरोध कर सकते हैं। सदस्य ईपीएफओ पोर्टल के ज़रिए ईपीएफओ क्लेम के स्टेट्स की जांच ऑनलाइन कर सकते हैं।
इसके अलावा, कर्मचारी अपने क्लेम स्टेट्स की जांच करने के लिए अपने रजिस्टर्ड मोबाइल से 011-22901406 पर मिस कॉल कर सकते हैं। ईपीएफओ क्लेम स्टेट्स की जांच करने के लिए उमंग ऐप की एसएमएस सुविधा का भी उपयोग किया जा सकता है।
पीएफ स्टेट्स की जांच करने के लिए, मेम्बर द्वारा निम्नलिखित जानकारी प्रदान की जानी चाहिए:
ट्रांसफर क्लेम की प्रक्रिया को आसान और पारदर्शी बनाने के लिए, ईपीएफओ ने एम्प्लायर्स के डिजिटल सिग्नेचर को लागू किया है। अब एम्प्लायर अपने डिजिटल सिग्नेचर का प्रयोग करके क्लेम को एप्रूव कर सकते हैं। जब कर्मचारी द्वारा संगठन को शिफ्ट किया जाता है, तो उसके ट्रांसफर क्लेम को या तो उसके पूर्व एम्प्लायर द्वारा अथवा मौजूदा एम्प्लायर द्वारा अटेस्ट किया जाना चाहिए, तथा यहां पर डिजिटल सिग्नेचर का महत्व साबित होता है। फिर, कर्मचारियों को फॉर्म 13 भरना होता है, और उस पर एम्प्लायर के हस्ताक्षर प्राप्त करके इसे क्षेत्रीय ईपीएफ कार्यालय में प्रस्तुत करना होता है। अब प्रक्रिया को सरल कर दिया गया है, तथा इसे ईपीएफओ मेम्बर पोर्टल पर किया जा सकता है। डिजिटिल सिग्नेचर के लिए, एम्प्लायर को डिजिटल सिग्नेचर के लिए आवेदन करना होगा- जिसमे उनका व्यक्तिगत ब्यौरा जासे नाम, ईमेल आईडी, एपीएनआईसी अकाउंट नम्बर, पब्लिक की तथा एम्प्लायर के देश का ब्यौरा शामिल होता है। डिजिटिल सिग्नेचर को सर्टिफाईंग ऑथोरिटी द्वारा जारी किया जाता है तथा अपेक्षित ब्यौरे के साथ यह पहचान कुंजी शामिल होती है जिसे ईपीएफओ मेम्बर पोर्टल में शामिल किया जाएगा।
वे कर्मचारी जो शिकायत दर्ज करना चाहते हैं, तो ईपीएफओ के सदस्य पोर्टल पर कर्मचारियों द्वारा अपनी शिकायत के रजिस्ट्रेशन और शिकायत दर्ज करवाने के लिए खास व्यवस्था की गई है। आमतौर पर कर्मचारियों को विदड्रावल, पीएफ सेटलमेंट, अकाउंट ट्रांसफर, पेंशन की सेटलमेंट आदि के बारे में परेशानियों का सामना किया जाता है। ऐसे कर्मचारी जो ईपीएफओ मेम्बर पोर्टल पर नए हैं, वे ईपीएफ शिकायत दर्ज करने के लिए निम्नलिखित कदमों का अनुपालन कर सकते हैं:
यूएएन तथा अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) से संबंधित प्रश्नों के लिए आप ईपीएफओ टोल फ्री नम्बर 1800 118 005 पर कॉल कर सकते हैं।
अनक्लेम्ड ईपीएफ अकाउंट से फंड्स विदड्रा करने की प्रक्रिया बहुत सरल है। अनक्लेम्ड पीएफ अकाउंट से फंड्स को विदड्रा करने की प्रक्रिया का उल्लेख नीचे किया गया है:
कर्मचारी ईपीएफओ वेबसाइट के e-Sewa पोर्टल पर केवाईसी ब्यौरे को अपडेट कर सकते हैं।
नहीं, कोई भी पात्र कर्मचारी ईपीएफ में भागीदारी न करने का विकल्प नहीं चुन सकता है।
नहीं, कोई कर्मचारी सीधा ईपीएफ में शामिल नहीं हो सकता है। उसे किसी ऐसे संगठन में काम करने वाला होना चाहिए जिसे ईपीएफ तथा एमएफ एक्ट, 1952 में कवर किया गया है।
अंशदान की गणना उस वेतन के आधार पर की जाती है जिसका भुगतान कैलेण्डर महीने में किया जाता है।
नहीं, एम्प्लायर ईपीएफ अंशदान के अपने शेयर को कम नहीं कर सकता है। इस प्रकार की कटौती को अपराध माना जाता है।
नहीं, एप्रेंटिस ईपीएफ का सदस्य नहीं बन सकता है, लेकिन जैसे ही वह एप्रेंटिस नहीं रहता, उसे तत्काल ईपीएफ के लिए नामांकन करवाना चाहिए।
नहीं, किसी कर्मचारी के लिए ऐसी स्थिति मे ईपीएफ मे योगदान नहीं किया जा सकता है जब वह सेवा को छोड़ चुका है। कर्मचारी और एम्प्लायर का अंशदान समान होना चाहिए।
कर्मचारी को सबसे पहले एम्प्लायर से संपर्क करना चाहिए। यदि एम्प्लायर उसे पीएफ सदस्यता प्रदान नहीं करता है, तो उसे पीएफ कार्यालय के क्षेत्रीय भविष्य निधि कमीशनर से संपर्क करना चाहिए।
नहीं, भविष्य निधि का सदस्य बनने के लिए किसी कर्मचारी के लिए कोई आयु प्रतिबंध नहीं होता है। लेकिन, यदि कर्मचारी पहले ही 58 वर्ष से अधिक की आयु का हो चुका है, तो वह पेंशन फंड का सदस्य नहीं बन सकता है।
ईपीएफ तथा एमपी एक्ट, 1952 के अंतर्गत मुकदमा, देनदारों से देय राशि की वसूली, बैंक खातों को अटैच किया जाना, प्रोपर्टी की अटैचमेंट और बिक्री, तथा एम्प्लायर को डिटेन करना और गिरफ्तार करना कुछ ऐसे तरीके हैं जिनसे एम्प्लायर से पीएफ राशि की रिकवरी की जाती है।
Credit Card:
Credit Score:
Personal Loan:
Home Loan:
Fixed Deposit:
Copyright © 2025 BankBazaar.com.